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यो नो॑ अग्ने दु॒रेव॒ आ मर्तो॑ व॒धाय॒ दाश॑ति। तस्मा॑न्नः पा॒ह्यंह॑सः ॥३१॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yo no agne dureva ā marto vadhāya dāśati | tasmān naḥ pāhy aṁhasaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

यः। नः॒। अ॒ग्ने॒। दुः॒ऽएवः॑। आ। मर्तः॑। व॒धाय॑। दाश॑ति। तस्मा॑त्। नः॒। पा॒हि॒। अंह॑सः ॥३१॥

ऋग्वेद » मण्डल:6» सूक्त:16» मन्त्र:31 | अष्टक:4» अध्याय:5» वर्ग:27» मन्त्र:1 | मण्डल:6» अनुवाक:2» मन्त्र:31


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर न्यायाधीश क्या करे, इस विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (अग्ने) न्यायाधीश (यः) जो (मर्त्तः) मनुष्य (नः) हम लोगों को (वधाय) मारने के लिये (दुरेवः) दुष्ट आचरण को (दाशति) देता है (तस्मात्) उस (अंहसः) अधर्म्माचरण से (नः) हम लोगों की (आ, पाहि) रक्षा कीजिये ॥३१॥
भावार्थभाषाः - हे न्यायाधीश ! जो करने के विना अपराध को स्थापित करते हैं, उनके लिये तीव्र दण्ड को दीजिये ॥३१॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनर्न्यायाधीशः किं कुर्य्यादित्याह॥

अन्वय:

हे अग्ने ! यो मर्त्तो नो वधाय दुरेवो दाशति तस्मादंहसो न आ पाहि ॥३१॥

पदार्थान्वयभाषाः - (यः) (नः) अस्मान् (अग्ने) न्यायाधीश (दुरेवः) दुष्टाचरणम् (आ) (मर्त्तः) मनुष्यः (वधाय) हननाय (दाशति) ददाति (तस्मात्) (नः) अस्मान् (पाहि) (अंहसः) अधर्माचरणम् ॥३१॥
भावार्थभाषाः - हे न्यायाधीश ! ये विना कृतेनाऽपराधं स्थापयन्ति तेभ्यः तीव्रं दण्डं देहि ॥३१॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे न्यायाधीशा! जे विनाकारण अपराध करतात त्यांना तीव्र दंड दे. ॥ ३१ ॥